10th Social Science Subjective 2025
1. इटली तथा जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया की भूमिका क्या थी?
इटली और जर्मनी के एकीकरण में आस्ट्रिया की महत्वपूर्ण भूमिका थी। इटली के एकीकरण में आस्ट्रिया के खिलाफ युद्ध करना पड़ा ताकि इटली के राज्य एकीकृत हो सकें। जर्मनी में, प्रशा ने आस्ट्रिया को हराकर जर्मन राज्यों का एकीकरण किया। इस तरह, आस्ट्रिया का पराजय इटली और जर्मनी दोनों के एकीकरण में सहायक बना।
2. दांडी यात्रा का क्या उद्देश्य था?
दांडी यात्रा का मुख्य उद्देश्य अंग्रेजों के द्वारा लगाए गए नमक कानून का विरोध करना था। महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह के तहत इस यात्रा की शुरुआत की और 24 दिनों में लगभग 390 किलोमीटर पैदल चलकर दांडी पहुँचे। इसका उद्देश्य लोगों को अंग्रेजी शासन के अन्यायपूर्ण कानूनों के खिलाफ एकजुट करना था।
3. “असहयोग आंदोलन प्रथम जन आंदोलन था।” टिप्पणी करें।
असहयोग आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का पहला जन आंदोलन था। महात्मा गांधी ने इसे 1920 में शुरू किया, जिसमें लोगों को अंग्रेजों के खिलाफ असहयोग करने का आह्वान किया गया। लोगों ने सरकारी नौकरियों, स्कूलों, कॉलेजों, और न्यायालयों का बहिष्कार किया। इस आंदोलन ने भारतीयों में स्वतंत्रता की भावना को जागृत किया और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक व्यापक जन समर्थन पैदा किया।
4. औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका को किस तरह प्रभावित किया?
औद्योगीकरण ने मजदूरों की आजीविका पर कई प्रभाव डाले। जहाँ एक ओर इससे नए रोजगार के अवसर बढ़े, वहीं दूसरी ओर मजदूरों को लंबे समय तक काम करने और कम वेतन पर निर्भर रहना पड़ा। औद्योगीकरण ने पारंपरिक कुटीर उद्योगों को कमजोर किया, जिससे गांवों में बेरोजगारी बढ़ी। मजदूरों का शोषण भी बढ़ गया और उनके जीवन स्तर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
5. गांव के कृषिज न्य आर्थिक क्रियाकलापों की विशेषता को दर्शाएँ।
गाँव के कृषि आधारित आर्थिक क्रियाकलापों में पारंपरिक खेती, पशुपालन, कुटीर उद्योग और सहायक कार्य शामिल होते हैं। यहाँ के लोग खेती पर निर्भर रहते हैं, और कृषि का तरीका पारंपरिक होता है। इसमें छोटे पैमाने पर उत्पादन होता है, और आधुनिक कृषि तकनीकों का उपयोग सीमित होता है। गांव की अर्थव्यवस्था आत्मनिर्भर होती है और बड़े शहरों पर कम निर्भर होती है।
6. असहयोग आंदोलन के आर्थिक प्रभाव क्या थे?
उत्तर :- (इसमें किन्ही एक या दो को याद कर लीजिये आपको जो अच्छा👇👇 लगे आसान लगे )
असहयोग आंदोलन के आर्थिक प्रभाव निम्नलिखित हैं:
1. स्वदेशी वस्तुओं का प्रचार: असहयोग आंदोलन के दौरान महात्मा गांधी ने स्वदेशी उत्पादों को अपनाने का आह्वान किया। इसने भारतीय वस्त्र उद्योग, विशेषकर खादी के उत्पादों, को बढ़ावा दिया और विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार किया गया।
2. व्यापार और उद्योग पर प्रभाव: आंदोलन के कारण विदेशी कंपनियों और उद्योगों पर आर्थिक दबाव बढ़ा। भारतीय व्यापारी और उद्योगपति स्वदेशी सामानों के उत्पादन और बिक्री में रुचि रखने लगे, जिससे भारतीय उद्योग को बढ़ावा मिला।
3. आर्थिक असमानता में कमी: आंदोलन ने देश के विभिन्न वर्गों को एकजुट किया। यह गरीब किसानों और श्रमिकों के हक में एक आवाज बनकर उभरा, जिससे उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ने का अवसर मिला और आर्थिक असमानता में कुछ हद तक कमी आई।
4. किसानों के आंदोलन: असहयोग आंदोलन ने किसान आंदोलनों को भी प्रभावित किया। कई किसान नेता आंदोलन से प्रेरित होकर अपने हक के लिए संगठित होने लगे, जिससे कृषि क्षेत्र में बदलाव की कोशिशें बढ़ीं।
5. नौकरी में कमी: सरकारी दफ्तरों और संस्थानों में असहयोग आंदोलन के तहत कर्मचारियों ने काम करना बंद कर दिया, जिससे कई क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियों में कमी आई और बेरोजगारी बढ़ी।
6. आर्थिक निर्भरता में कमी: यह आंदोलन भारतीय लोगों में आत्मनिर्भरता की भावना को बढ़ावा देने वाला था। इसके परिणामस्वरूप, लोग विदेशी वस्तुओं पर निर्भरता कम करने के लिए स्थानीय उत्पादों की ओर आकर्षित हुए।
7. संविधान के प्रति जागरूकता: असहयोग आंदोलन ने लोगों को आर्थिक और राजनीतिक मुद्दों के प्रति जागरूक किया। इससे लोगों ने यह समझा कि आर्थिक स्वतंत्रता और राजनीतिक स्वतंत्रता एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं।
8. महात्मा गांधी का प्रभाव: गांधी जी की विचारधारा ने लोगों को अपने आर्थिक और सामाजिक अधिकारों के प्रति जागरूक किया, जिससे आर्थिक गतिविधियों में सुधार की दिशा में प्रयास किए गए।
Question 7 भारत में किस तरह जातिगत असमानताएं जारी हैं? स्पष्ट करें।
How are caste-based differences prevalent in India? Explain.
Answer: भारत में जातिगत असमानताएं समाज के विभिन्न स्तरों पर देखने को मिलती हैं। सामाजिक, आर्थिक और शैक्षिक असमानता जाति के आधार पर जारी है। निम्न जातियों के लोग उच्च जातियों के लोगों की तुलना में गरीबी, शिक्षा और रोजगार के अवसरों में पिछड़े हुए हैं। सरकारी प्रयासों के बावजूद, जातिगत भेदभाव अभी भी कायम है। यह असमानता सामाजिक सौहार्द्र और विकास में बाधा डालती है।
Question 9 सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र में क्या महत्व रखती है?
What is the importance of power sharing in democracy?
Answer: सत्ता की साझेदारी लोकतंत्र का एक महत्वपूर्ण पहलू है क्योंकि यह सभी वर्गों और समुदायों को प्रतिनिधित्व का अवसर देती है। इससे सभी नागरिकों की इच्छाओं और आकांक्षाओं का सम्मान होता है और सरकार में संतुलन बना रहता है। सत्ता की साझेदारी से विविध समाज में एकता और शांति बनी रहती है तथा इससे लोकतंत्र मजबूत होता है।
Question 10 बिहार में हुए छात्र आंदोलन के प्रमुख कारण क्या थे?
What were the main reasons for the students’ movement in Bihar?
Answer: बिहार में छात्र आंदोलन का मुख्य कारण भ्रष्टाचार, प्रशासनिक लापरवाही और सामाजिक असमानता थी। छात्रों ने अपने अधिकारों और समाज में सुधार के लिए आंदोलन किया। इस आंदोलन का उद्देश्य था कि सरकार जवाबदेह बने और भ्रष्टाचार समाप्त हो। यह आंदोलन देश में अन्याय और भ्रष्टाचार के खिलाफ युवाओं की आवाज का प्रतीक बन गया
Question 11 भारतवर्ष में लोकतंत्र के भविष्य को आप किस रूप में देखते हैं?
Answer: भारत में लोकतंत्र का भविष्य उज्जवल है, क्योंकि यहाँ के लोग लोकतंत्र की मूल भावनाओं में विश्वास रखते हैं। हालांकि, कुछ चुनौतियाँ जैसे जातिवाद, भ्रष्टाचार और असमानता लोकतंत्र के विकास में बाधा हैं, लेकिन जागरूकता और शिक्षा के प्रसार से इन चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। भविष्य में भारत का लोकतंत्र और मजबूत और समावेशी बनेगा।
Question 12 आतंकवाद लोकतंत्र की चुनौती है। कैसे?
Answer: आतंकवाद लोकतंत्र के लिए एक गंभीर चुनौती है क्योंकि यह समाज में भय और असुरक्षा का माहौल पैदा करता है। आतंकवादी गतिविधियों का उद्देश्य लोकतांत्रिक ढांचे को कमजोर करना और समाज में विभाजन करना होता है। इससे नागरिकों की स्वतंत्रता, सुरक्षा और विश्वास प्रभावित होते हैं। लोकतांत्रिक सरकारों को आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठाने की आवश्यकता होती है।
Question 13: भावी समाज में लोकतंत्र की जिम्मेदारी और उद्देश्य पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखें
Answer: भावी समाज में लोकतंत्र का उद्देश्य सामाजिक न्याय, समानता और स्वतंत्रता को सुनिश्चित करना है। लोकतंत्र की जिम्मेदारी है कि वह हर नागरिक की आवाज को सुने और समाज में समावेशी विकास को प्रोत्साहित करे। नागरिकों को भी अपनी जिम्मेदारी समझनी चाहिए और लोकतंत्र के सिद्धांतों का सम्मान करना चाहिए ताकि समाज में स्थिरता और शांति बनी रहे।
Question 14: जीवन के विभिन्न पहलुओं का उल्लेख करें जिसमें भारत में स्त्रियों के साथ भेदभाव है या वे कमजोर स्थिति में हैं।
Answer: भारत में महिलाओं के साथ भेदभाव कई क्षेत्रों में देखा जा सकता है:
1. शिक्षा में भेदभाव – कई परिवार लड़कियों की शिक्षा को प्राथमिकता नहीं देते, जिससे उनका विकास सीमित हो जाता है।
2. कार्यस्थल पर भेदभाव – महिलाओं को समान कार्य के लिए पुरुषों से कम वेतन मिलता है और उन्नति के अवसर भी कम होते हैं।
3. सामाजिक सुरक्षा – महिलाओं के खिलाफ हिंसा और उत्पीड़न की घटनाएं अधिक होती हैं, जो उनकी सुरक्षा और स्वतंत्रता को प्रभावित करती हैं।
4. राजनीति में भागीदारी – भारत में महिला नेताओं की संख्या सीमित है, जिससे नीति निर्माण में उनकी भागीदारी कम होती है।
Question 15: भारतवर्ष में लोकतंत्र कैसे सफल हो सकता है?
Answer: भारत में लोकतंत्र को सफल बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय किए जा सकते हैं:
1. शिक्षा का प्रसार – लोगों में लोकतंत्र के प्रति जागरूकता और समझ विकसित करना आवश्यक है।
2. समानता और समता – समाज में सभी वर्गों के लिए समान अवसर प्रदान किए जाने चाहिए।
3. पारदर्शिता और उत्तरदायित्व – सरकार और प्रशासन में पारदर्शिता और उत्तरदायित्व से जनता का विश्वास बढ़ता है।
4. कानून का सम्मान – सभी नागरिकों द्वारा कानून का पालन और उसका सम्मान लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करता है।
Question 16: अर्थव्यवस्था किसे कहते हैं?
Answer: अर्थव्यवस्था वह प्रणाली है जिसके माध्यम से किसी देश में संसाधनों का उत्पादन, वितरण और उपभोग किया जाता है। यह समाज की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए वस्तुओं और सेवाओं का निर्माण करती है।
Question 17: आय का गरीबी के साथ संबंध स्थापित करें।
Answer: आय और गरीबी का सीधा संबंध है। उच्च आय वाले लोग अधिक साधनों का उपभोग कर सकते हैं और गरीबी से बाहर निकल सकते हैं। वहीं, कम आय वाले लोग आवश्यक सुविधाओं का अभाव महसूस करते हैं, जिससे गरीबी बनी रहती है। आय में वृद्धि से गरीबी कम हो सकती है।
Question 18: ATM क्या है?
ATM (Automated Teller Machine) एक स्वचालित मशीन है जो बैंकों के ग्राहकों को नकदी निकालने, बैलेंस चेक करने और अन्य बैंकिंग सेवाएं प्रदान करती है। इसका उपयोग सरलता से किया जा सकता है और यह 24×7 उपलब्ध रहती है।
19. सौर ऊर्जा का उत्पारण कैसे होता है?
उत्तर :- सौर ऊर्जा का उत्पादन करने की प्रक्रिया को हम “फोटोवोल्टिक प्रक्रिया” कहते हैं। सौर ऊर्जा को उत्पन्न करने के लिए मुख्यतः सोलर पैनल का उपयोग होता है, जिसमें सिलिकॉन जैसी सेमीकंडक्टर सामग्री होती है जो सूर्य की रोशनी को सीधे विद्युत ऊर्जा में बदल देती है। यहाँ सौर ऊर्जा उत्पादन की प्रक्रिया को संक्षेप में समझाया गया है:
1. सौर पैनल का कार्य: सोलर पैनल सूर्य से आने वाली फोटॉन (प्रकाश कण) को ग्रहण करता है।
2. फोटोवोल्टिक प्रभाव: जब सूर्य की रोशनी पैनल पर पड़ती है, तो फोटॉन सिलिकॉन सेल्स में इलेक्ट्रॉनों को मुक्त कर देते हैं। ये मुक्त इलेक्ट्रॉन विद्युत प्रवाह उत्पन्न करते हैं, जिसे हम बिजली के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
3. इन्वर्टर का उपयोग: सौर पैनल से उत्पन्न विद्युत डीसी (Direct Current) में होती है, जिसे घरों में उपयोग के लिए एसी (Alternating Current) में बदलने के लिए इन्वर्टर का उपयोग किया जाता है।
4. बिजली का उपयोग और भंडारण: उत्पन्न सौर ऊर्जा को तत्काल उपयोग में लिया जा सकता है या बैटरी में संग्रहित किया जा सकता है ताकि आवश्यकता पड़ने पर इस्तेमाल हो सके।
सौर ऊर्जा एक साफ और स्थायी ऊर्जा स्रोत है जो पर्यावरण को प्रदूषण से बचाता है और बिजली का एक किफायती विकल्प प्रदान करता है।
20. आपदाएं कितने प्रकार के होती है
उत्तर :- आपदाएं मुख्य रूप से दो प्रकार की होती हैं:
1. प्राकृतिक आपदाएं (Natural Disasters): ये आपदाएं प्राकृतिक घटनाओं के कारण होती हैं और मनुष्य के नियंत्रण से बाहर होती हैं। इन आपदाओं में शामिल हैं:
भूकंप: पृथ्वी की सतह के नीचे टेक्टोनिक प्लेटों के हिलने से होने वाली आपदा।
बाढ़: अत्यधिक वर्षा या नदियों के जलस्तर बढ़ने से होने वाली स्थिति।
चक्रवात (साइक्लोन): वायुमंडलीय दबाव में कमी के कारण तेज़ हवाओं और भारी वर्षा के साथ उत्पन्न स्थिति।
सूनामी: समुद्र के अंदर भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न बड़ी समुद्री लहरें।
ज्वालामुखी विस्फोट: पृथ्वी के अंदर लावा, राख और गैस का उग्रता से निकलना।
सूखा: लम्बे समय तक वर्षा न होने से जल की कमी।
2. मानव-निर्मित आपदाएं (Man-Made Disasters): ये आपदाएं मानव की गतिविधियों और गलतियों के कारण होती हैं। इनमें शामिल हैं:
परमाणु दुर्घटनाएं: परमाणु संयंत्रों में खराबी या विस्फोट के कारण।
रासायनिक आपदाएं: रासायनिक कारखानों से जहरीली गैस का रिसाव।
पर्यावरण प्रदूषण: मानवीय क्रियाओं से वायु, जल, और भूमि का प्रदूषित होना।
युद्ध और आतंकवाद: मानव-निर्मित संघर्ष और हिंसा।
भवनों का गिरना: निर्माण में लापरवाही से इमारतों का अचानक गिर जाना।
आगजनी: जंगल या शहरों में अनियंत्रित आग लग जाना।
इन आपदाओं का प्रभाव व्यापक होता है और इनसे जान-माल का भारी नुकसान हो सकता है।
21. बाढ़ नियंत्रण के लिए उपाय बताएं
उत्तर :– ( आप लोग किन्ही 👇 दो का उत्तर लिखें देंगे )
बाढ़ नियंत्रण के लिए निम्नलिखित उपाय प्रभावी हो सकते हैं:
1. जलाशय और बांध का निर्माण: नदियों के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिए बड़े जलाशय और बांध बनाए जाते हैं। ये पानी को संग्रहीत करते हैं और धीरे-धीरे उसे छोड़ते हैं, जिससे बाढ़ की संभावना कम होती है।
2. चैनलाइजेशन और ड्रेनेज सिस्टम: नदियों और जल निकास मार्गों की सफाई और गहराई बढ़ाने से पानी का प्रवाह सुचारू होता है। बेहतर ड्रेनेज सिस्टम से शहरी क्षेत्रों में पानी का सही तरीके से निकास हो सकता है।
3. वनरोपण: पहाड़ी और तटीय क्षेत्रों में पेड़ लगाने से मिट्टी का कटाव रुकता है और पानी का अवशोषण बढ़ता है, जिससे बाढ़ का खतरा कम होता है।
4. अर्ली वार्निंग सिस्टम: तकनीकी साधनों जैसे रडार और सेंसर से बाढ़ की आशंका का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। इससे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर ले जाने के लिए समय मिलता है।
5. पानी के बहाव को मोड़ना: जिन इलाकों में बाढ़ का अधिक खतरा रहता है, वहां नहर या कृत्रिम नदियों का निर्माण करके पानी को अन्य सुरक्षित क्षेत्रों में मोड़ा जा सकता है।
6. फ्लड जोन मैपिंग और पॉलिसी: जोखिम वाले क्षेत्रों का नक्शा तैयार करके, सरकार उन जगहों पर निर्माण को प्रतिबंधित कर सकती है और लोगों को सुरक्षित इलाकों में बसाने का काम कर सकती है।
7. सतत विकास नीतियाँ: जलवायु परिवर्तन को ध्यान में रखते हुए, ऐसे विकास कार्य किए जाएं जो पर्यावरण के अनुकूल हों।
22. भूकंप और सुनामी के बीच अंतर स्पष्ट कीजिए
उत्तर :- ( इनमे से जो आपको अच्छा लगे उसका Ans. लिख देंगे )👇👇👇
भूकंप और सुनामी दोनों ही प्राकृतिक आपदाएँ हैं, लेकिन इनके कारण और प्रभाव अलग होते हैं। यहाँ इन दोनों के बीच मुख्य अंतर दिए गए हैं:
1. परिभाषा:
भूकंप: यह एक भौगोलिक घटना है जिसमें पृथ्वी की सतह के नीचे मौजूद प्लेटों के खिसकने या टकराने से ऊर्जा का उत्सर्जन होता है, जिससे जमीन हिलने लगती है।
सुनामी: यह समुद्र के नीचे भूकंप, ज्वालामुखी विस्फोट या भूस्खलन के कारण उत्पन्न विशाल समुद्री लहरें होती हैं, जो तेजी से समुद्री किनारे तक पहुँचकर तबाही मचा सकती हैं।
2. कारण:
भूकंप: पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों में हलचल, जैसे उनके खिसकने या टकराने से भूकंप उत्पन्न होता है।
सुनामी: समुद्र के नीचे होने वाले बड़े भूकंप या ज्वालामुखी विस्फोट से समुद्र में पानी की विशाल लहरें उत्पन्न होती हैं, जो सुनामी का कारण बनती हैं।
3. प्रभाव का क्षेत्र:
भूकंप: इसका असर जमीन के ऊपर और उसके आसपास के क्षेत्रों तक सीमित रहता है।
सुनामी: इसका प्रभाव समुद्र से लगे तटीय क्षेत्रों पर होता है और यह दूर-दूर तक पहुँच सकती है, जिससे समुद्र तटों पर तबाही होती है।
4. प्रभाव का प्रकार:
भूकंप: भूकंप के दौरान जमीन हिलती है, जिससे इमारतों, सड़कों, और अन्य संरचनाओं को नुकसान होता है।
सुनामी: सुनामी में विशाल लहरें तटीय इलाकों में बाढ़ ला सकती हैं और इमारतों, पेड़ों, और वाहनों को बहा ले जाती हैं।
5. पूर्वानुमान:
भूकंप: भूकंप का सही समय और स्थान पहले से जानना मुश्किल होता है।
सुनामी: अगर समुद्र के नीचे भूकंप होता है, तो सुनामी की चेतावनी पहले से दी जा सकती है, जिससे लोगों को सुरक्षित स्थान पर ले जाया जा सकता है।
निष्कर्ष: भूकंप और सुनामी दोनों ही खतरनाक प्राकृतिक आपदाएँ हैं, लेकिन उनकी उत्पत्ति और प्रभाव के क्षेत्र अलग होते हैं।
23. बाढ़ से होने वाली हानियों का उल्लेख कीजिए
उत्तर :- ( किन्ही दो👇 को लिख लीजिये आपको जो आसान लगे )
बाढ़ एक गंभीर प्राकृतिक आपदा है, जो कई प्रकार की हानियों का कारण बन सकती है। यहाँ बाढ़ से होने वाली कुछ प्रमुख हानियों का उल्लेख किया गया है:
1. जीवित जनसंख्या पर प्रभाव:
बाढ़ के कारण लोगों की जान जाने का खतरा बढ़ जाता है।
बाढ़ के बाद विभिन्न बीमारियाँ फैलने का जोखिम होता है, जैसे डेंगू, मलेरिया, हैजा आदि।
2. आर्थिक नुकसान:
बाढ़ से फसलों का नुकसान होता है, जिससे कृषि पर निर्भर जनसंख्या की आर्थिक स्थिति प्रभावित होती है।
व्यापार और उद्योगों को भी नुकसान होता है, जिससे बेरोजगारी और आर्थिक मंदी की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
3. संरचनात्मक क्षति:
बाढ़ के पानी से इमारतें, सड़कें, पुल और अन्य बुनियादी ढाँचे क्षतिग्रस्त हो सकते हैं।
पानी में तैरते मलबे से और अधिक नुकसान होता है, जिससे मरम्मत की लागत बढ़ जाती है।
4. पर्यावरणीय प्रभाव:
बाढ़ के कारण मिट्टी का कटाव और प्रदूषण बढ़ सकता है, जिससे पारिस्थितिकी तंत्र प्रभावित होता है।
जलाशयों और नदियों में प्रदूषक सामग्री का स्तर बढ़ जाता है, जिससे जल गुणवत्ता में कमी आती है।
5. जल आपूर्ति में समस्या:
बाढ़ के कारण जल स्रोतों का प्रदूषण होता है, जिससे पीने के पानी की उपलब्धता पर प्रभाव पड़ता है।
बाढ़ के बाद पानी की सफाई और आपूर्ति में कठिनाई होती है।
6. स्थानांतरण और विस्थापन:
बाढ़ के कारण लोग अपने घरों से विस्थापित हो जाते हैं, जिससे शरणार्थी की स्थिति उत्पन्न होती है।
विस्थापित लोगों को पुनर्वास और सहायता की आवश्यकता होती है, जो एक बड़ी चुनौती होती है।
7. शिक्षा पर प्रभाव:
बाढ़ से स्कूलों को नुकसान पहुँच सकता है, जिससे शिक्षा व्यवस्था बाधित होती है।
कई बच्चों को स्कूल छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता है, जिससे शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित होती है।
8. मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव:
बाढ़ के कारण होने वाली हानि और तनाव मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकते हैं।
बाढ़ से प्रभावित लोग, खासकर बच्चे, अवसाद, चिंता और अन्य मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर सकते हैं।
निष्कर्ष: बाढ़ केवल भौतिक क्षति ही नहीं, बल्कि सामाजिक, आर्थिक और मानसिक स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालती है। इससे निपटने के लिए उचित योजना और तैयारी आवश्यक है।
24. सुखे के कारणों को बताइए
उत्तर :- ( किन्ही दो 👇👇को लिख दीजियेगा जो असान लगे आपको )
सूखा एक गंभीर जलवायु संकट है, जो जल आपूर्ति में कमी, कृषि उत्पादन में गिरावट, और आर्थिक अस्थिरता का कारण बन सकता है। सुखे के कई कारण हो सकते हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख हैं:
1. जलवायु परिवर्तन:
जलवायु परिवर्तन के कारण मौसम में बदलाव आता है, जिससे वर्षा की मात्रा में कमी हो सकती है।
बढ़ती गर्मी और बदलते मौसम पैटर्न सूखे की स्थिति को बढ़ा सकते हैं।
2. अनियमित वर्षा:
यदि वर्षा का पैटर्न असामान्य हो, जैसे कि कम वर्षा या अनियमित बारिश, तो इससे सूखा पड़ सकता है।
कुछ क्षेत्रों में वर्षा की अनुपस्थिति या अत्यधिक बारिश का असमान वितरण सूखे को जन्म दे सकता है।
3. भूमिगत जल का अत्यधिक दोहन:
कृषि, उद्योग, और घरेलू उपयोग के लिए भूजल का अत्यधिक उपयोग सूखे की स्थिति को उत्पन्न कर सकता है।
भूजल के स्तर में गिरावट से जल संकट उत्पन्न होता है।
4. वनों की कटाई:
वनस्पति की कमी और वनों की कटाई से भूमि की जलधारण क्षमता कम हो जाती है, जिससे सूखा बढ़ता है।
पेड़ों की कमी से जलवाष्पीकरण की प्रक्रिया भी प्रभावित होती है, जिससे वर्षा में कमी आती है।
5. अधिक तापमान:
गर्मी की अधिकता के कारण मिट्टी से पानी का वाष्पीकरण बढ़ जाता है, जिससे सूखे की स्थिति उत्पन्न होती है।
उच्च तापमान फसलों की वृद्धि को प्रभावित कर सकता है और जल की मांग बढ़ा सकता है।
6. कृषि संबंधी प्रथाएँ:
अत्यधिक सिंचाई और जल-ग्रहण क्षेत्र में सुधार न करना भी सूखे का कारण बन सकता है।
फसल चक्र का न होना और केवल एक ही फसल का उत्पादन करने से मिट्टी की उर्वरता कम हो सकती है।
7. प्राकृतिक आपदाएँ:
कुछ प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे कि बर्फबारी का कम होना या अल नीनो प्रभाव, सूखे का कारण बन सकते हैं।
ये घटनाएँ मौसम के पैटर्न को प्रभावित कर सकती हैं, जिससे सूखा पड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
8. मानवजनित कारण:
शहरीकरण और अव्यवस्थित भूमि उपयोग से जल संसाधनों पर दबाव बढ़ता है, जो सूखे की स्थिति को बढ़ा सकता है।
औद्योगिक गतिविधियों और जल प्रदूषण से भी जल स्रोतों की गुणवत्ता में कमी आती है।
निष्कर्ष: सूखा एक जटिल समस्या है, जो कई कारकों का संयोजन हो सकता है। इसके प्रभावों को कम करने के लिए सतत जल प्रबंधन, वनों का संरक्षण, और जलवायु परिवर्तन के प्रति जागरूकता आवश्यक है।
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