Class 10 Social Science Objective Subjective Question 2025
हेलो स्टूडेंट यहाँ मैं आपके लिए क्लास 10th Social Science विषय से Most important क्वेश्चन दिए हैं जो सभी बोर्ड के लिए हैं आपके एग्जाम में आने की ज्यादा चांस हैं
Objective
1. हिंद-चीन पहुँचने वाले प्रथम व्यापारी कौन थे?
(क) अंग्रेज
(ख) फ्रांसीसी
(ग) पुर्तगाली
(घ) डच
उत्तर: (ग) पुर्तगाली
2. राम्पा विद्रोह कब हुआ?
(क) 1916 में
(ख) 1917 में
(ग) 1918 में
(घ) 1919 में
उत्तर: (ख) 1916 में
3. मरुस्थलीय मृदा किस राज्य में पाई जाती है?
(क) उत्तर प्रदेश
(ख) राजस्थान
(ग) कर्नाटका
(घ) महाराष्ट्र
उत्तर: (ख) राजस्थान
4. बिहार के कितने भौगोलिक क्षेत्र पर वन का फैलाव है?
(क) 15%
(ख) 20%
(ग) 30%
(घ) 7%
उत्तर: (ख) 20%
5. बिहार में पंचायती राज संस्थाओं में महिलाओं के लिए कितनी सीटें आरक्षित है ?
(क) 50%
(ख) 25%
(ग) 33%
(घ) इनमे से कोई नहीं
उत्तर :- (ग) 33%
6. सूचना के अधिकार आंदोलन की शुरुआत किस राज्य से हुई ?
(क) राजस्थान
(ख) दिल्ली
(ग) तमिलनाडु
(घ) बिहार
उत्तर :– (क) राजस्थान
इतिहास (History)
1. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना किस वर्ष हुई?
(क) 1885
(ख) 1905
(ग) 1919
(घ) 1947
उत्तर: (क) 1885
2. गांधीजी ने असहयोग आंदोलन कब शुरू किया?
(क) 1919
(ख) 1920
(ग) 1930
(घ) 1942
उत्तर: (ख) 1920
3. जलियांवाला बाग हत्याकांड किस शहर में हुआ था?
(क) दिल्ली
(ख) लाहौर
(ग) अमृतसर
(घ) चंडीगढ़
उत्तर: (ग) अमृतसर
4. सुभाष चंद्र बोस ने आज़ाद हिंद फौज की स्थापना कब की?
(क) 1929
(ख) 1935
(ग) 1942
(घ) 1943
उत्तर: (घ) 1943
5. भारत छोड़ो आंदोलन का नारा किसने दिया?
(क) जवाहरलाल नेहरू
(ख) महात्मा गांधी
(ग) भगत सिंह
(घ) बाल गंगाधर तिलक
उत्तर: (ख) महात्मा गांधी
भौगोलिक (Geography)
6. ‘काला सोना’ किसे कहते हैं?
(क) पेट्रोलियम
(ख) कोयला
(ग) सोना
(घ) लौह अयस्क
उत्तर: (ख) कोयला
7. हरित क्रांति का संबंध किससे है?
(क) औद्योगिक उत्पादन
(ख) अनाज उत्पादन
(ग) मत्स्य उत्पादन
(घ) दुग्ध उत्पादन
उत्तर: (ख) अनाज उत्पादन
8. ‘रेगिस्तान का जहाज’ किसे कहा जाता है?
(क) ऊंट
(ख) हाथी
(ग) घोड़ा
(घ) भैंस
उत्तर: (क) ऊंट
9. सतलुज नदी कहां से निकलती है?
(क) मानसरोवर झील
(ख) हिमालय
(ग) अरावली
(घ) गंगोत्री
उत्तर: (क) मानसरोवर झील
10. कौन सा राज्य चाय उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है?
(क) केरल
(ख) तमिलनाडु
(ग) असम
(घ) उत्तर प्रदेश
उत्तर: (ग) असम
राजनीति विज्ञान (Civics)
11. भारतीय संविधान का निर्माण कब हुआ?
(क) 1947
(ख) 1948
(ग) 1949
(घ) 1950
उत्तर: (घ) 1950
12. संविधान का कौन सा भाग मौलिक अधिकारों से संबंधित है?
(क) भाग 2
(ख) भाग 3
(ग) भाग 4
(घ) भाग 5
उत्तर: (ख) भाग 3
13. भारत का सर्वोच्च न्यायालय कहां स्थित है?
(क) मुंबई
(ख) दिल्ली
(ग) कोलकाता
(घ) चेन्नई
उत्तर: (ख) दिल्ली
14. भारतीय संविधान में कितने मूल अधिकार हैं?
(क) 5
(ख) 6
(ग) 7
(घ) 8
उत्तर: (ख) 6
15. राष्ट्रपति का कार्यकाल कितने वर्ष का होता है?
(क) 4 वर्ष
(ख) 5 वर्ष
(ग) 6 वर्ष
(घ) 7 वर्ष
उत्तर: (ख) 5 वर्ष
अर्थशास्त्र (Economics)
16. भारत में आर्थिक योजना कब शुरू हुई?
(क) 1947
(ख) 1950
(ग) 1951
(घ) 1955
उत्तर: (ग) 1951
17. किस क्षेत्र को “प्रधान क्षेत्र” कहा जाता है?
(क) कृषि क्षेत्र
(ख) उद्योग क्षेत्र
(ग) सेवा क्षेत्र
(घ) खनन क्षेत्र
उत्तर: (क) कृषि क्षेत्र
18. भारत में नोटों का मुद्रण कौन करता है?
(क) भारतीय रिजर्व बैंक
(ख) भारतीय स्टेट बैंक
(ग) वित्त मंत्रालय
(घ) योजना आयोग
उत्तर: (क) भारतीय रिजर्व बैंक
19. कौन सी योजना “गरीबी उन्मूलन” के लिए शुरू की गई थी?
(क) मनरेगा
(ख) स्वच्छ भारत मिशन
(ग) डिजिटल इंडिया
(घ) मेक इन इंडिया
उत्तर: (क) मनरेगा
20. भारत में मुद्रा स्फीति किससे मापी जाती है?
(क) थोक मूल्य सूचकांक
(ख) शेयर बाजार
(ग) जीडीपी
(घ) सकल राष्ट्रीय उत्पाद
उत्तर: (क) थोक मूल्य सूचकांक
Subjective
1. यूरोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन करें |
यूरोपियन समाजवादियों के विचारों का वर्णन
यूरोपियन समाजवाद (European Socialism) एक राजनीतिक और आर्थिक विचारधारा है, जो सामाजिक न्याय, आर्थिक समानता, और सामाजिक कल्याण पर केंद्रित है। यह विचारधारा पूंजीवाद की असमानताओं को खत्म करने और समाज के हर वर्ग को समान अवसर प्रदान करने का समर्थन करती है। समाजवादियों के प्रमुख विचार निम्नलिखित हैं:
1. सामाजिक समानता (Social Equality):
यूरोपियन समाजवादी मानते हैं कि समाज में आर्थिक और सामाजिक असमानता को कम करना जरूरी है।
उनके अनुसार, प्रत्येक व्यक्ति को समान अधिकार और अवसर मिलना चाहिए, चाहे वह किसी भी जाति, वर्ग, या धर्म से हो।
2. सार्वजनिक सेवाओं का विस्तार (Expansion of Public Services):
शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन, और सामाजिक सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण होनी चाहिए।
यह सेवाएं सभी के लिए निःशुल्क या सस्ती होनी चाहिए।
3. आर्थिक नियंत्रण (Economic Control):
समाजवादी पूंजीवादी व्यवस्था के पूर्ण निजीकरण का विरोध करते हैं
उनके अनुसार, महत्वपूर्ण उद्योगों (जैसे ऊर्जा, परिवहन, और बैंकिंग) का सरकारी नियंत्रण या सार्वजनिक स्वामित्व होना चाहिए ताकि मुनाफे को समाज के कल्याण में उपयोग किया जा सके।
4. श्रमिक अधिकार (Workers’ Rights):
श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा करना, जैसे उचित वेतन, काम के अच्छे हालात, और यूनियन बनाने का अधिकार।
श्रम शक्ति को समाज के विकास में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता माना जाता है।
5. धन का पुनर्वितरण (Redistribution of Wealth):
समाज में धनी और गरीब के बीच की खाई को कम करने के लिए प्रगतिशील कर प्रणाली (Progressive Taxation) अपनाई जाती है।
करों से प्राप्त धन को सार्वजनिक सेवाओं और कल्याणकारी योजनाओं में लगाया जाता है।
6. लोकतांत्रिक समाजवाद (Democratic Socialism):
यूरोपियन समाजवादी लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से अपने विचार लागू करने में विश्वास करते हैं।
वे तानाशाही या जबरदस्ती के बजाय चुनाव और सार्वजनिक सहमति के माध्यम से बदलाव लाने का समर्थन करते हैं।
7. पर्यावरणीय स्थिरता (Environmental Sustainability):
समाजवादी दल पर्यावरण के संरक्षण और स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं।
वे मानते हैं कि आर्थिक विकास पर्यावरणीय जिम्मेदारियों के साथ संतुलित होना चाहिए।
प्रमुख यूरोपियन समाजवादी दल
• ब्रिटेन का लेबर पार्टी (Labour Party)
• जर्मनी का सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी (SPD)
• फ्रांस का सोशलिस्ट पार्टी (PS)
निष्कर्ष
यूरोपियन समाजवाद, एक ऐसी विचारधारा है जो व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करते हुए सामूहिक भलाई पर जोर देती है। यह प्रणाली समाज में सभी के लिए समान अवसर, आर्थिक सुरक्षा, और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करती है।
2. भारत में राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारणों पर प्रकाश डालें
भारत में राष्ट्रवाद के उदय के सामाजिक कारण
भारत में राष्ट्रवाद का उदय 19वीं और 20वीं सदी में एक महत्वपूर्ण घटना थी। यह भारतीय समाज में विभिन्न सामाजिक, सांस्कृतिक, और राजनीतिक बदलावों का परिणाम था। राष्ट्रवाद के उदय में कई सामाजिक कारणों ने योगदान दिया, जिनका विवरण नीचे दिया गया है:
1. भारतीय समाज में जागरूकता का विकास
अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली ने भारतीयों को आधुनिक विज्ञान, तर्क और लोकतांत्रिक विचारधारा से परिचित कराया।
यह शिक्षा प्रणाली भारतीयों को उनके अधिकारों और स्वतंत्रता के महत्व को समझाने में सहायक बनी।
2. जाति व्यवस्था और सामाजिक असमानता
भारतीय समाज में प्रचलित जाति व्यवस्था और सामाजिक भेदभाव ने समाज के विभिन्न वर्गों में असंतोष को बढ़ावा दिया।
सुधार आंदोलनों जैसे ब्रह्म समाज, आर्य समाज, और सत्यशोधक समाज ने जाति व्यवस्था और सामाजिक बुराइयों को चुनौती दी।
इन आंदोलनों ने समानता और एकता के विचारों को बढ़ावा दिया, जिससे राष्ट्रवाद को बल मिला।
3. भारतीय संस्कृति और इतिहास के प्रति जागरूकता
भारतीय विद्वानों और सुधारकों ने भारत के प्राचीन गौरव, सांस्कृतिक धरोहर, और ऐतिहासिक उपलब्धियों को पुनः स्थापित करने का प्रयास किया।
राजा राम मोहन राय, स्वामी विवेकानंद, और बंकिम चंद्र चट्टोपाध्याय जैसे विचारकों ने भारतीय संस्कृति और आत्म-सम्मान का प्रचार किया।
“वंदे मातरम्” जैसे गीतों ने सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रवादी भावनाओं को प्रोत्साहित किया।
4. सामाजिक सुधार आंदोलनों का प्रभाव
सती प्रथा, बाल विवाह, और पर्दा प्रथा जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ आंदोलनों ने समाज में सुधार और जागरूकता लाई।
सुधार आंदोलनों ने भारतीय समाज को जागरूक किया और उन्हें राष्ट्रीय एकता की दिशा में प्रेरित किया।
5. प्रेस और संचार के माध्यमों का विकास
भारतीय समाचार पत्रों और पत्रिकाओं ने लोगों को स्वतंत्रता संग्राम और सामाजिक मुद्दों के प्रति जागरूक किया।
“अमृत बाजार पत्रिका,” “केसरी,” और “हिंदू” जैसे पत्रों ने राष्ट्रीय भावना को जागृत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
6. धार्मिक और भाषाई एकता का प्रयास
धार्मिक नेताओं और सुधारकों ने धर्म के नाम पर होने वाले भेदभाव को कम करने और समाज को एकजुट करने का प्रयास किया।
हिंदी, बंगाली, तमिल जैसी भाषाओं ने सांस्कृतिक एकता और राष्ट्रीय चेतना को प्रोत्साहित किया।
7. महिलाओं की स्थिति में सुधार
महिलाओं की शिक्षा और उनके अधिकारों के लिए प्रयासों ने समाज को प्रगतिशील बनाया।
इस सुधार ने महिलाओं को भी स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
8. पश्चिमी विचारधाराओं का प्रभाव
समानता, स्वतंत्रता, और लोकतंत्र जैसे पश्चिमी विचारों ने भारतीय समाज में एक नई सोच को जन्म दिया।
यह सोच ब्रिटिश शासन के अन्याय और शोषण के खिलाफ राष्ट्रीय आंदोलन का आधार बनी।
निष्कर्ष
भारतीय समाज में राष्ट्रवाद का उदय सामाजिक जागरूकता, सुधार आंदोलनों, और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का परिणाम था। इसने भारतीयों को अपने अधिकारों और स्वतंत्रता के लिए संगठित होकर संघर्ष करने के लिए प्रेरित किया और भारत को एकजुट करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Class 10 Social Science Objective Subjective Question 2025
Post Name | Class 10 Social Science Objective Subjective Question 2025 |
Post Type | Class 10 Social Science |
Board Name | All Board |
Class 10th Social Science | Objective &
Subjective |
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Long Subjective
उपनिवेशवाद से आप क्या समझते हैं ? औद्योगिकरण ने उपनिवेशवाद को कैसे जन्म दिया ? वर्णन करें
उत्तर :-
उपनिवेशवाद से क्या समझते हैं?
उपनिवेशवाद (Colonialism) एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें एक शक्तिशाली देश कमजोर या पिछड़े देशों पर राजनीतिक, आर्थिक, और सांस्कृतिक नियंत्रण स्थापित करता है। इस प्रक्रिया में कमजोर देशों के संसाधनों का शोषण और उनके समाज, संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर प्रभुत्व स्थापित किया जाता है।
उपनिवेशवाद के मुख्य उद्देश्य:
1. प्राकृतिक संसाधनों का दोहन (जैसे सोना, चांदी, मसाले, और खनिज)।
2. नए बाजारों की तलाश।
3. रणनीतिक क्षेत्रों पर नियंत्रण।
4. अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक विचारधारा का प्रचार।
औद्योगिकरण ने उपनिवेशवाद को कैसे जन्म दिया?
औद्योगिक क्रांति (18वीं सदी) ने उपनिवेशवाद को जन्म देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके प्रभावों को निम्नलिखित बिंदुओं में समझा जा सकता है:
1. कच्चे माल की आवश्यकता:
औद्योगिकरण के दौरान उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में कच्चे माल (जैसे कपास, कोयला, और लोहा) की आवश्यकता थी।
यूरोपीय देशों ने अफ्रीका, एशिया और लैटिन अमेरिका जैसे क्षेत्रों को उपनिवेश बना लिया ताकि सस्ते में कच्चा माल प्राप्त कर सकें।
2. नए बाजारों की खोज:
औद्योगिक क्रांति के कारण बड़े पैमाने पर उत्पादन शुरू हुआ।
उत्पादित वस्तुओं के लिए यूरोपीय देशों को नए बाजारों की आवश्यकता थी। उपनिवेशों को इन तैयार मालों के लिए बाजार के रूप में उपयोग किया गया।
3. श्रम शक्ति का शोषण:
• उपनिवेशों में सस्ते श्रमिक उपलब्ध थे।
• यूरोपीय देशों ने स्थानीय लोगों से कम वेतन पर काम करवाया और उनके श्रम का शोषण किया।
4. परिवहन और संचार का विकास:
• औद्योगिकरण ने बेहतर परिवहन (रेलवे और जहाज) और संचार प्रणाली (टेलीग्राफ) का विकास किया।
• इससे उपनिवेशों के साथ व्यापार और प्रशासन को सरल बनाया गया।
5. पूंजी निवेश के अवसर:
• औद्योगिक समाजों को अपने अधिशेष धन को लाभकारी क्षेत्रों में निवेश करना था।
• उपनिवेशों में बुनियादी ढांचे (रेलवे, खदानों, फैक्ट्रियों) में निवेश करके उन्होंने अधिक लाभ कमाया।
6. सैन्य शक्ति और साम्राज्यवाद:
• औद्योगिक क्रांति ने हथियारों और सैन्य तकनीकों को उन्नत किया।
• इससे यूरोपीय देशों ने कमजोर देशों पर आसानी से विजय प्राप्त की और उन्हें उपनिवेश बनाया।
7. सांस्कृतिक और धार्मिक औचित्य:
यूरोपीय शक्तियों ने अपनी सांस्कृतिक और धार्मिक श्रेष्ठता को औचित्य के रूप में प्रस्तुत किया।
औद्योगिक युग में वे स्वयं को “सभ्य” और उपनिवेशों को “असभ्य” मानते थे, इसलिए उन्होंने “सभ्यता का बोझ” उठाने का दावा किया।
उदाहरण:
भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद:
ब्रिटेन ने भारत से कपास, मसाले, और चाय जैसे कच्चे माल का शोषण किया।
औद्योगिक वस्त्र मिलों के लिए भारत एक बड़ा बाजार बन गया।
अफ्रीका में उपनिवेशवाद:
यूरोपीय देशों ने अफ्रीका के खनिज संसाधनों (सोना, हीरा) और श्रम शक्ति का शोषण किया।
निष्कर्ष:
औद्योगिक क्रांति ने उपनिवेशवाद को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक साधन, उद्देश्य और औचित्य प्रदान किया। कच्चे माल, बाजार, सस्ते श्रम और आर्थिक लाभ की खोज ने यूरोपीय देशों को कमजोर और पिछड़े देशों पर प्रभुत्व स्थापित करने के लिए प्रेरित किया। उपनिवेशवाद ने शोषण की एक ऐसी प्रणाली विकसित की जिसने उपनिवेशित देशों की संस्कृति, समाज और अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला।
Note :- आप इन्हें अपने नोट्स में शामिल करें और नियमित रूप से अभ्यास करें।
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