Class 10 Sanskrit ke Zaroori Questions: Board Exam 2025

Class 10 Sanskrit ke Zaroori Questions: Board Exam 2025

Class 10 Sanskrit ke Zaroori Questions: Board Exam 2025

अगर आप क्लास 10th के स्टूडेंट है और देने जा रहे हैं 2025 बोर्ड एग्जाम। तो यहां पर हम संस्कृत के इम्पोर्टेन्ट सब्जेक्टि क्वेश्चन लेकर आए हैं जो कि आपके परीक्षा (एग्जाम) में आएंगे, तो आप सभी विद्यार्थी जल्दी से इन सभी क्वेश्चन को अपनी तैयारी में शामिल कर लीजिए

(1). निम्नलिखित में से किसी एक विषय पर सात वाक्यों में संस्कृत में अनुच्छेद लिखें 

( क ) आदर्शछात्र   

(ख) अस्माकं देशः

(ग) सत्सङ्गतिः 

(घ) अस्मांक विद्यालयः

(ङ) मम ग्राम :

( क ) आदर्शछात्र:

यः छात्रः गुरुणां आज्ञापालकः सदाचारी ज्ञानोपासकः भवति स एव आदर्श छात्र भवति। विद्योपार्जनमेव तत्य लक्ष्यं भवति परमो धर्मः अपि । स सर्वं कार्य समयानुकूलं यथाकालं सम्पन्नं करोति । कुव्यसनं त्यक्त्वा सहपाठिषु मित्रवत् व्यवहरति । कुसङ्गम् त्यक्त्वा सज्जनः सुशीलः च भवति। आदर्श छात्रः एव कस्यापि देशस्य भाविकर्णधारः भवति।

(ख) अस्माकं देशः

 वयं यस्मिन् देशे निवसामः तस्य नाम भारतवर्षम् अस्ति । एषः देशः कृषि-प्रधानं ग्रामप्रधानं चास्ति । अत्रैव अनेके महापुरुषाः अभवन् । तेषु रामः, कृष्णः, गौतमः, गाँधी, मालवीयः इत्यादि आसन् । अस्य देशस्य राजधार्नी दिल्ली महानगरम् अस्ति । प्राचीनकाले अत्र अन्यदेशतः छात्राः अध्ययनार्थम् आगच्छन्ति स्म । गंगा, गोदावरी, कावेरी, कृष्णा, महानदी, सतलज आदि अनेकाः नद्यः सन्ति । उत्तरस्यां दिशि नागाधिराजः हिमालयः

(ग) अस्मांक विद्यालयः

मम विद्यालयः नगरस्य एकस्मिन् सुरम्ये स्थले स्थितः अस्ति । अत्र अध्यापकानां संख्या सप्ततिः, छात्राणां च सहस्रम् वर्तते । शिक्षाक्षेत्रे अस्य ख्यातिः अत्याधिका अस्ति । अध्यनम् अतिरिक्त अत्र देशभक्तैः समाजसेवायाः सदाचारस्य अपि कार्यक्रमाः आयोज्यन्ते । क्रीड़ा क्षेत्रे सदा प्रथमं स्थानं प्राप्नोति । भाषण-वादविवाद-निबन्धादि प्रतियोगितासु अपि उच्चं स्थान लभ्यते । अहं गर्वितः भाग्यशाली च यः एतादृशे अत्युत्तमे विद्यालये शिक्षा लेभे ।

(घ) सत्सङ्गतिः

सभ्यजनानां सङ्गतिः सत्सङ्गतिः कथ्यते। सङ्गत्या हृदये विचारं व्यवहारं च सर्वदा पवित्रं परिदृश्यते। अनया स्वार्भभावं जहाति। दुष्कलुषानां सङ्गत्या कलुषिता बुद्धिः हृदये स्थान गृह्णाति इति विद्वांसः वदन्ति यथाहि दुष्टसङ्गत्या एव व्रीहिः मुसलैः प्रहृयते। ऋषीणाम् सङ्गत्या एव चौरः वाल्मीकिः अपि आदिकविः प्रख्यातः अभवत्। सतां सङ्गतिः इति सत्सङ्गतिः। सत्सङ्गतिः किं किं न करोति पुंसाम्।

(ङ) मम ग्राम :

अस्माकं ग्रामः बिहारप्रदेशस्य पटनामण्डले अस्ति। अयं ग्रामं गंगायाः पावन तटे अस्ति। ग्रामे परितः आम्रवृक्षाः सन्ति। ग्रामं निकषा राजपथः अस्ति। ग्रामे ब्राह्मणः क्षत्रिय वैश्याः शूद्राश्च निवसन्ति । अत्र शूद्राः निर्धनाः सन्ति ते सेवावृत्या जीवनयापनं कुर्वन्ति। ग्रामप्रधानः शिक्षितः, उदारः च अस्ति। अत्रत्वाः जनाः कृषिकर्म कुर्वन्ति। गोदुग्धं दधि च प्रभूतमात्रायां लभ्यते। यदा ही क्षेत्राणि शस्यपूर्णानि भवन्ति तदा अस्य शोभा दर्शनीया भवति।

(2). ‘अलसकथा’ पाठ में किस पर चर्चा की गयी है ?

‘अलसकथा’ शीर्षक पाठ में चर्चा की गयी है कि आलसी जीवन जीने की कला का कैसे निर्वहन करते हैं ? इष्ट लाभ के लिए मेहनती भी आलसी का रूप लेकर पहुँचने लगते हैं। मिथिला की बात् कौन कहे अन्य प्रदेशों के भी आलसी आने लगते हैं। तभी तो कहा गया है-सजातीनां सुखं दृष्ट्वा के न धावन्ति जन्तवः ।

(3). अलस कथा का सारांश लिखें ।

विद्यापति द्वारा रचित कथाग्रंथ ‘पुरुष परीक्षा’ नामक पुस्तक से लिया गया ‘अलसकथा’ मानव महत्त्व एवं दोषों के निराकरण की शिक्षा देता है। आलसियों के दान देने की इच्छा रखनेवाले वीरेश्वर ने यह जानने की उत्कंठा प्रकट की थी कि आलसी जीवन जीने की कला का कैसे निर्वहन करते हैं। इष्ट लाभ के लिए मेहनती भी आलसी का रूप लेकर पहुँचने लगते हैं। उनकी परीक्षा के लिए दानगृह में अग्नि प्रज्वलित की जाती है। आलसी भागने के क्रम में गीले कपड़े से ढकने, घर में आग लगी है, यहाँ कोई धार्मिक नहीं है आदि की चर्चा करते हैं। आलसी केवल करुणा के पात्र होते हैं ।

(4). ‘नीतिश्लोकाः’ पाठ के आधार पर निश्चित ही पण्डित कौन कहलाते हैं ?

जिसके कर्म को सर्दी-गर्मी, भय-आनंद, उन्नति अवनति बाधा नहीं डालते हैं, उसे ही पंडित कहते हैं। इतना ही नहीं, सभी जीवों के रहस्य को जाननेवाला, सभी कर्मों के कौशल को जाननेवाला तथा मनुष्यों के उन्नति के उपाय जाननेवाला भी पंडित कहलाता है।

(5). स्वामी दयानन्द समाज के महान् उद्धारक थे, कैसे ?

स्वामी दयानंद ने समाज के उद्धार के लिए स्त्रीशिक्षा पर बल दिया और विधवा विवाह हेतु समाज को प्रोत्साहित किया। उन्होंने बाल-विवाह समाप्त करवाने, मूर्तिपूजा का विरोध और छुआछूत समाप्त करने का प्रयत्न किया ।

(6). पटना का गुरुद्वारा किसके लिए और क्यों प्रसिद्ध है ?

पटना का गुरुद्वारा सिक्ख सम्प्रदाय के लोगों के लिए महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि पटना सिटी में सिक्खों का गुरुद्वारा है जो मनमोहक और प्रसिद्ध ‘। गुरुगोविन्द का जन्म पटना में ही हुआ था। दूर-दराज के लोग अपनी ‘मन्नतों’ और इच्छाओं की पूर्ति हेतु गुरुद्वारा दर्शन करने आते हैं और पूर्ण होने की कामना करते हैं ।

(7). संसार में अशान्ति के क्या कारण हैं ? पठित पाठ के आधार पर वर्णन करें ।

अशान्ति का प्रमुख कारण द्वेष और असहिष्णुता है। आज हर देश दूसरे देश की उन्नति को देखकर ईर्ष्या की अग्नि से जल रहा है। उसकी उन्नति को नष्ट करने के लिए छल-प्रपंच आदि का सहारा ले रहा है। आयुधों की होड़ में आज मानवता विनष्ट हो रही है। निर्वैर से शान्ति की कल्पना की जा सकती है। अतः परोपकार, सहिष्णुता आदि को धारण कर ही अशान्ति को दूर किया जा सकता है ।

(8). विवाह संस्कार में कौन-कौन से मुख्य कार्य किये जाते हैं ?

विवाह-संस्कार से ही लोग गृहस्थ-जीवन में प्रवेश करता है । विवाह को एक पवित्र संस्कार माना गया है, जिसमें अनेक प्रकार के कर्मकाण्ड होते हैं। उनमें वाग्दान, मण्डप निर्माण, वधू के घर में वर पक्ष का स्वागत, वर-वधू का परस्पर निरीक्षण, कन्यादान, अग्निस्थापन, पाणिग्रहण, लाजाहोम, सिन्दूरदान इत्यादि कई कर्मकाण्ड शामिल हैं। सभी क्षेत्रों में समान रूप से विवाह-संस्कार का आयोजन होता है ।

(9). भीष्मप्रतिज्ञा के आधार पर ‘धीवर’ के चरित्र का वर्णन करें।

दाशराज धीवर सत्यवती के पिता हैं। सत्यवती को देखकर भीष्म के पिता शान्तनु मोहित हो जाते हैं, दाशराज शांतनु को अपनी पुत्री देने के पूर्व शर्त रखते हैं कि सत्यवती का पुत्र ही राज्य का उत्तराधिकारी होगा । दाशराज अपनी पुत्री की भविष्य की कामना से ऐसा करते हैं जब भीष्म उनके समक्ष अविवाहित रहकर और ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए जीवन बिताने का कठोर प्रतिज्ञा करते हैं तब दाशराज अपनी पुत्री सत्यवती का विवाह शान्तनु से कर देते हैं 

(10). ‘व्याघ्घ्रपथिककथां’ से क्या शिक्षा मिलती है ?

नारायण पण्डित द्वारा रचित यह कथा नीतिपरक और आदर्शपरक है। इस कथा से हमें यही शिक्षा मिलती है कि लोभवश हमें अपनी जान को जोखिम में नहीं डालना चाहिए । लोभवश ही पथिक बूढ़े बाघ के वाग्जाल में फंसकर अपना प्राण गवाँ देता है । बिना सोचे-समझे कोई काम नहीं करना चाहिए । अतः अति लोभ नहीं करना चाहिए 

(11). चारों आलसियों का सम्वाद अपने शब्दों में लिखें ।

चारों आलसी निश्चय ही अपने आलसपन को सिद्ध कर रहे थे। एक ने मुँह ढंककर कहा-अरे हल्ला कैसा ? दूसरे ने कहा-लगता है इस घर में आग लग गई है। तीसरे ने कहा-कोई पानी से भींगे वस्त्रों से ढंक दे । चौथे ने कहा-अरे कहा-अरे वाचाल ! कितनी बात करत हो ? चुपचाप क्यों नहीं रहते हो ।

(12). कर्ण के अनुसार चिरस्थायी क्या है ?

अनुसार संसार में सुकर्म ही अमर रहता है। इसका नाश उत्तर-कर्ण के अनुसार संसार में कभी नहीं होता है। । इसके अतिरिक्त सारी वस्तुएँ नष्ट और कीर्ति ही ही चिरस्थायी होता है। है। सिर्फ यश हो जाती है

(13). मंदाकिनी नदी की शोभा का वर्णन करें ।

जब वनवास-काल में श्रीराम, सीता और लक्ष्मण के साथ चित्रकूट जाते हैं तब मंदाकिनी की प्राकृतिक सुषमा से बहुत ही प्रभावित हो जाते हैं। ऊँची कछारों वाली इस नदी की रमणीयता को देखकर सीता से कहते हैं कि यह नदी प्राकृतिक उपादानों से संकलित चित्र को आकर्षित कर रही है। रंग-बिरंगी छटावाली यह हंसों द्वारा सुशोभित है एवं इसके निर्मल जल में ऋषिगण ‘स्नान करते हैं।

(14). भारतीय समाज के उन्नयन में आर्यसमाज का क्या योगदान है ?

आर्यसमाज की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीय समाज को एक नई दिशा देना है। इसके द्वारा प्राचीन दोषयुक्त शिक्षा को दूर करने के लिए नई शिक्षा पद्धति का पदार्पण किया गया। अंधविश्वास एवं शिक्षा की अज्ञानता को दूर किया गया। वर्तमान शिक्षा पद्धति और समाज के प्रवर्तन में दयानंद सरस्वती और आर्यसमाज का योगदान स्मरणीय है।

(15). ‘कर्मवीर कथा’ के नायक रामप्रवेश राम की प्रसिद्धि का कारण क्या है ?

कर्मवीर कथा के नायक राप्रवेश राम की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण उसका उत्साह, धैर्य और लगन है। वह स्नेहित अध्यापक का साहिन्नध्य पाकर, अपने जीवन की दशा को बदल देता है । केन्द्रीय लोकसेवा परीक्षा में उत्तीर्ण होकर एक आदर्श पात्र बन जाता है। अपनी प्रशासनिक क्षमता से सभी को अपनी तरफ आकर्षित कर लेता है।

(16). भगवान बुद्ध के पाटलिपुत्र संबंधी विचारों पर प्रकाश डालें।

भगवान बुद्ध ने पाटलिग्राम के बारे में कहा था कि यह गाँव महानगर होगा। लेकिन, यह नगर परस्पर लड़ाई, आग और बाढ़ के भाय से सदैव पीड़ित होता रहेगा। कालांतर में में पाटलिग्राम को ही पटना कहा जाने लगा। बुद्ध की कही गई ये बातें सत्य हो रही हैं। लोग आज भी आग और बाढ़ से प्रभावित हैं।

(17). ‘व्याघ्र पथिक’ कथा को संक्षेप में अपने शब्दों में लिखिए ।

नारायण पण्डित विरचित हितोपदेश के नीतिकथा ग्रन्थ के मित्रलाभ खण्ड से ली गई कथा ‘व्याघ्रपथिक कथा’ है । इस कथा में एक पथिक वृद्ध व्याघ्र द्वारा दिये गये प्रलोभन में पड़ जाता है ।

वृद्ध व्याघ्र हाथ में सुवर्णकंगनं लेकर पथिक को अपनी ओर आकृष्ट करता है । पथिक निर्धन होने के बावजूद व्याघ्र पर विश्वास नहीं करता । तब व्याघ्र द्वारा सटीक तर्क दिये जाने पर पथिक संतुष्ट होकर कंगन ले लेना उचित समझता है । व्याघ्र द्वारा स्नान कर ग्रहण करने की बात स्वीकार कर पथिक महाकीचड़ में गिर जाता है और व्याघ्र द्वारा मारा जाता है ।

(18). भारत भूमि का गुणगान करते हुए देवगण क्या कहते हैं ?

देवता लोग भारत देश का गुणगान करते हैं। वे कहते हैं कि भारतीय भूमि मोक्ष और स्वर्ग प्रदान करने का साधन है । मनुष्य भारत भूमि पर जन्म लेकर भगवान् हरि की सेवा के योग्य बन जाते हैं ।

(19). जन्मपूर्व संस्कारों का उद्देश्य क्या है ?

जन्म से पहले तीन संस्कार हैं-गर्भाधान, पुंसवन और समीन्तोनयन । इसमें गर्भरक्षा, गर्भस्थ शिशु में संस्कार की स्थापना तथा गर्भवती की प्रसन्नता के प्रयोजन की कल्पना करना ही जन्मपूर्व संस्कारों का मुख्य उद्देश्य है ।

(20). शिक्षा की समाप्ति पर गुरु शिष्य को क्या उपदेश देते थे ?

शिक्षा की समाप्ति पर गुरु जीवन के धर्मों कर्त्तव्यों का उपदेश देते थे । जैसे-सत्य बोलो, धर्म का आचरण करो; स्वाध्याय से जी मत चुराओ आदि ।

THE END 

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Written by: Gulshan Math Study